डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के बारे में अपने कई तरह की बातें सुन रखी होगी जैसे चैन सिस्टम, मेंबर बनने का बिजनेस आदि। पर अभी भी दिमाग में जिज्ञासा रहती है कि डायरेक्ट सेलिंग कंपनी क्या होती है ? या किस तरह से कार्य करती है? जानिए डायरेक्ट सेलिंग कंपनी क्या होती है। इसके बारे में हम आपको बताते हैं।
डायरेक्ट सेलिंग क्या है?
डायरेक्ट सेलिंग कंपनी वह है। जो अपने उत्पाद किसी बाजार या दुकान के माध्यम से ना बेच कर सीधे अपने सामान को ग्राहक को बेचती है। यदि किसी उत्पाद को कंपनी बनाती है और उसको किसी दुकान के माध्यम से बेचती है तो इसमें एक बड़ा सा सिस्टम काम करता है। जैसे उत्पादन होने के बाद वह सामान c&f के पास जाता है फिर उसके बाद होलसेलर के पास जाता है उसके बाद रिटेलर के पास जाता है फिर कोई ग्राहक उसे खरीद पाता है। साथ ही उस उत्पाद के लिए विज्ञापन भी किए जाते हैं।
इस तरह कंपनी का किसी सामान को बनाए जाने के बाद उसे बाजार में डिसटीब्यूट किया जाता है ताकि ग्राहक बाजार जा कर उस सामान को खरीद सके। इस प्रकार जो बाजार के लोग होते हैं या दुकानदार होते हैं वह भी इस से कुछ पैसा कमाते हैं।
पर डायरेक्ट सेलिंग में ऐसा नहीं होता है। कंपनियां अपने सामान सीधे ग्राहक को देती हैं तो इससे यह होता है कि ग्राहक को इससे कुछ अतिरिक्त फायदे मिलते हैं जैसे एमआरपी में छूट। कुछ गिफ्ट वाउचर। और? उत्पाद के क्वालिटी और शुद्धता में गारंटी। कुछ कंपनियां तो ऐसे भी होती हैं कि अगर उनके उत्पाद में कोई कमी आती है या ग्राहक को उनका उत्पाद पसंद नहीं आता है तो वह बिना किसी सवाल का जवाब दिये वापस कर सकते हैं।
डायरेक्ट सेलिंग कंपनी में ग्राहक खुद अन्य ग्राहकों की टीम बनाकर उस टीम की खरीदारी से एक अच्छा खासा कमाई भी अर्जित करता है। इस तरह का बिजनेस मॉडल अभी भारत में बहुत प्रचलित हो रहा है और बेरोजगारों के लिए एक अच्छा स्वरोजगार का विकल्प बन रहा है।
हमारे भारत सरकार की नजर।
हमारी सरकार ने भारत में डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (DSA)का गठन किया है जिसके निर्देशन और नियम के अनुसार ही कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां काम कर सकती हैं।
इस तरह के बिजनेस मॉडल के लिए हमारी भारत सरकार भी कई तरह के नियम व गाइडलाइन जारी की हैं और पूरी तरह से इस प्रकार के व्यापार को कानूनी बनाया हुआ है। जिस कारण जितने भी ठग वाले कंपनियां होती हैं उनका इस गाइडलाइन के बनने के बाद उनका चल पाना अब मुश्किल हो गया है।
चलिए जानते हैं डायरेक्ट सेलिंग कंपनी कितने प्रकार के होते हैं?
डायरेक्ट सेलिंग में दो प्रकार की कंपनी होती हैं। सिंगल लेवल मार्केटिंग और डायरेक्ट लेवल मार्केटिंग कंपनी।
SLM (सिंगल लेवल मार्केटिंग) में कोई भी व्यक्ति कंपनी का रिप्रेजेंटेटिव बन कर कंपनी का प्रोडक्ट भेजता है। यह कंपनी के द्वारा नियुक्त किया हुआ व्यक्ति होता है। जिसके बिक्री के आधार पर कंपनी उसे कमीशन देती है।
MLM (मल्टी लेवल मार्केटिंग ) कंपनी में कोई भी व्यक्ति कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर बन कर कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री करता है। यह डिस्ट्रीब्यूटर सेल्फ एम्पलाईड होता है और स्वतंत्र होता है। यह कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री के लिए कई लोगों को रिक्रूट कर सकता है और इन लोगों के द्वारा किए गए कुल बिक्री का भी कमीशन उस डिस्ट्रीब्यूटर को प्राप्त होता है और यही कार्य की स्वतंत्रता बाकी लोगों को भी मिलती है। इस तरह का व्यापार हमारे भारत में बहुत प्रचलित हो रहा है। यह बेरोजगार युवाओ के लिए एक अच्छा रोजगार का ऑप्शन बन कर भारत में उभर चुका है। MLM कंपनी आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का एक अच्छा करोबार है।
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इस तरह की कंपनियां इस बात पर जोर देती हैं कि वह इस तरह की कोई भी स्कीम नहीं चलाती हैं जिससे लोगों को रातों-रात अमीर बनने का सपना दिखाता हो यह कंपनियां किसी भी तरह के जॉइनिंग फीस लोगों से नहीं लेती है। और ना ही लोगों को जॉइनिंग कराने के पैसे देती है। उनकी कमाई कंपनी के उत्पाद के खरीद बिक्री पर निर्भर करता है। डिस्ट्रीब्यूटर की सफलता या असफलता उसके द्वारा स्वयं किए गए मेहनत व कंपनी के उत्पाद के कराए गए खरीद बिक्री पर निर्भर करता है। जो कि एक लंबे समय के परिश्रम के द्वारा ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
इस लेख में बस इतना ही । जल्द ही आपके लिए हम एक और अच्छी जानकारी की एक नई लेख लेकर आएंगे। आप मुझे Contact मे जा कर लिख सकते है। अपने विचार कमेंट करना ना भूलें। बहुत-बहुत धन्यवाद! आपका दिन शुभ हो!
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