कब आएगी जिंदगी पटरी पर? [कोरोना से जंग]



जब से महामारी शुरू हुई है मानो जिंदगी थम सी गई है। लोगो को जिंदगी की सबसे बड़ा इम्तिहान से गुजरना पड़ रहा है। दोस्तों, कोरोना ( Covid-19) एक ऐसी वैश्विक महामारी है जो पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। चीन से निकलकर यह बाहर ऐसा कोई भी देश नहीं बचा है जहां पर या नहीं पहुंच पाया है। और न जाने कितनों ने अपनों को खो दिया है। कितने परिवार उजड़ गए है। इसका दर्द केवल वे ही समझ सकते है। 


हमारा देश भारत भी इस महामारी के संकट से गुजर रहा है। और यह बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। हमारे भारत में ही अभी यह आंकड़े 1,59,054 के आसपास पाहुच चुका है।
लाखों मजदूर! अभी के स्थिति में बेघर हो चुके हैं और उनके पास कोई काम नहीं है। काम नहीं है तो उनके पास कोई आमदनी का जरिया नहीं है। इस वजह से वह तो भूखे हैं ही, साथ में उनके प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे भी भूख से तड़प रहे हैं।


शिर के ऊपर छत ना हो, समझ में आता है पर खाने के लिए अगर आनाज ना हो तो जीना मुश्किल हो जाता है। लाखों मजदूर जो अपने अच्छे भविष्य के सपना देख कर अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर निकल कर जहां पर वह रोजी रोटी कर कमा खा रहे थे। अभी यही निर्णय उनके लिए बहुत बड़ी सजा हो गई है क्योंकि वह अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हमारी सरकार अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रही हैं, पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं करूंगा क्योंकि यह सारी जानकारियां आप टीवी और न्यूज़ चैनलों अखबारों के माध्यम से जान रहे हैं।
बात तो तब और गंभीर हो जाती है जब एक मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती क्योंकि जब तक वह खाएगी नहीं तो दूध कहां से बनेगा। कहने का मतलब है कि अगर मां भूखी तो बच्चा भी भूखा। और यह किसी मां से कैसे देखा जा सकता है? पर किस्मत क्या-क्या नहीं दिखा रहा ? वह अपनी किस्मत पर रोए या फिर सरकार को दोष दे। क्या करें?

ऐसे समय में अगर इन मजदूरों को कहीं से छोटी सी भी तिनके का सहारा मिल जाती है तो वह इंसान उनके लिए किसी भगवान से कम नहीं होता है। ऐसे समय में कुछ भगवान तुल्य ईश्वर तुल्य वे लोग भी हैं जिनको हम नहीं जानते हैं, पर वे अपनी पूरी तनख्वाह निकालकर इन लोगों को बांटते हुए चले गए और उनके बारे में कुछ पता नहीं। कि वे कौन थे? उन्होंने किसी जाति धर्म को नहीं देखा बल्कि उन्होंने मानवता को देखा। पर उन महान व्यक्तियों के लिए मेरा। यही सम्मान भरा शब्द है कि "ईश्वर आया और चला गया।"

इन्हीं सब स्थितियों में हमारे डॉक्टर, पुलिस वाले, बिजली विभाग, सफाई कर्मी, ऐसे ना जाने और कितने लोग हैं जो इस कोरोना के जंग में अपने जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं। इनका हमें हमेशा एहसान मानना चाहिए। अगर आज के समय में भगवान के बाद अगर कोई दूसरा व्यक्ति है तो वह यह लोग ही हैं।


कुछ लोग तो ऐसे भी दिखे जिनके पास 10, 20 ₹50 से ज्यादा नहीं है। पर जब वह किसी मजदूर को देखा कि वह कितनी बुरी हालत में है और उसको मदद की आवश्यकता है तो उसने वह भी उनको दे दी। दोस्तों हमारे बीच ऐसे कई लोग हैं जो इनसे कहीं ज्यादा सक्षम है इन लोगों की मदद कर सकने में। अगर वे चाहे? तो अपने स्तर से सौ पचास। 500, 1000, 5000, 10000 जो भी क्षमता हो बांट सकते हैं। ऐसे लोगों के लिए तो मैं यही निवेदन करूंगा कि आप आगे आए और सहयोग करें क्योंकि यह आपका अपना देश भारत है और यहां आपके भाई लोग ही रहते हैं। चाहे वह किसी भी जाति का क्यों ना हो? हम सभी भारतीय हैं। हम सभी को मिलकर के इस संकट से निपटना है। और हम सब मिलकर यही करेंगे।


ऐसे समय में हमारे बीच रह रहे हमारे यह भाई लोग भी हैं। जो हमारे देश का वह मध्यमवर्गीय परिवार भी है। जो इस समस्या से वह भी जूझ रहा है। क्योंकि कई लोगों की नौकरियां अब जाने की स्थिति में है। समाप्त होने की स्थिति में है क्योंकि कोई भी कंपनी बिना किसी काम के या बिना किसी लाभ के किसी को सैलरी कैसे दे सकती है या कैसे दे पाएगी? यह भी एक समस्या है।
क्योंकि इन मध्यमवर्गीय परिवार को बिजली बिल तो भरना ही है। गैस सिलेंडर तो घर में चाहिए ही। घर पर राशन और जरूरतों के चीज तो चाहिए ही होंगे और अगर किराए पर रहता है तो मकान मालिक को किराया तो देना ही पड़ेगा। क्योंकि मकान मालिक को भी तो जीना - खाना है। ऐसे बहुत सारे खर्चे हैं जो उनको तो करने ही पड़ेंगे जिसमें सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की छूट या सब्सिडी नहीं होती है। और ना ही किसी प्रकार का कोई सहयोग मिल पाना संभव है। उनके पास भी अब तक जो जमा पूंजी थी, वह राशन पानी में खत्म होने की स्थिति में है या खत्म हो चुकी है। अब उन्हें भी आगे की चिंता सताने लगी है कि अब वे क्या करेंगे?


हमारे देश में लगभग 135 करोड़ की आबादी है और इतनी बड़ी आबादी में बेरोजगारों की संख्या भी बहुत बड़ी संख्या है ।जो कि अपने सामूहिक परिवार में रह करके या किसी एक व्यक्ति के आमदनी पर निर्भर रह कर के वह परिवार चलता है। और हमारे देश की यह बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ ही रही है क्योंकि रोजगार और बेरोजगार के बीच का अनुपात बहुत ज्यादा है। हर साल हमारे देश में लगभग एक करोड़ बेरोजगार पैदा होते हैं। जो विभिन्न संस्थाओं से ग्रेजुएट और मास्टर डिग्री लेकर के आते हैं। खैर!

इसके साथ ही कई समुदाय लोग ! कई सामाजिक संस्थाएं ! और कई धार्मिक संस्थाएं ! भी इस कोरोना महामारी के जंग में इनके द्वारा किया जाने वाला राहत कार्य अद्भुत है। इतने सारे लोगों के असंभव प्रतीत होने वाले लोगों के लिए भोजन तैयार कर इनको खिलाना और विभिन्न प्रकार के सेवा प्रदान करना वास्तव में सराहनीय है और ईश्वर का वरदान ही है जो इनके माध्यम से जीवन को मौका दे रहा है सामान्य होने के लिए।


अगर हम सभी भारतीय  इस प्रकार के विचार रखें और समझदारी से मानवता पूर्ण कार्य करें तो इस बीमारी को देश से भगाने (समाप्त करने) में बिलकुल समय नहीं लगेगा। और इस प्रकार के जो भुखमरी और बेरोजगारी का जो शंकट शुरू हो रहा है, उससे हम जल्दी निजात पा लेंगे।





हम सभी को स्थितियां समझ में आ रही है और हम समझ भी सकते हैं कि सरकार ज्यादा समय तक लॉग डाउन नहीं रख सकती। क्योंकि, लोगों का जो आमदनी का जरिया है, वह समाप्त हो जाएगा तो वह खाएगा कैसे? वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को उनके जरूरतों को कैसे पूरा करेगा? ऐसे संकट भरे स्थिति में अगर सरकार थोड़ी ढील दे रही है। तो स्थिति को समझते हुए हमें सावधानी बरतते हुए अपने काम करने हैं। समस्त देश के वैज्ञानिक इसका वैक्सीन ढूंढने में लगे हैं तो वैक्सीन तो आएगा ही पर कब आएगा, इसका पता नहीं है । पर जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, सावधानी पूर्वक अपना काम करें। क्योंकि सरकार धीरे-धीरे लाक डाउन हटा रही हैं और आगे सरकार कौन सा स्टेप लेगी, यह तो सरकार ही जानती है। पर हमें सरकार के हर दिशा निर्देशों का पालन करते हुए और अपना ध्यान रखते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाना है। इस समय देश में शान्ति और भाईचारा ही सर्वोपरि हो।

जय हिन्द ! वंदे मातरम !
-आप लोगों का
विनोद कुमार (Admin)
www.tiky.in
भारत

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