जरा सोचिए जब लाँक डाऊन शुरु हुआ तो हम 3 से 4 दिनों में ही घर पर रहकर उब गए। आंगन पर टहलने लगे, छतों पर टहलने लगे। फिर भी हमारा समय व्यतीत होना मुश्किल हो रहा था। हम Netflix देखते थे, हम मूवीस देखते थे। हम सीरियल देख लेते थे । कुछ भी Activities कर लेते थे फिर भी, घर हमें काटने को दौड़ता था। हमें लगता था कि काश कहीं बाहर हम निकल पाए और घूम पाए।
2 मिनट के लिए ही सही।
और कभी-कभी तो पुलिस के डंडे भी खा लिए।
आप सोचिए हमारी माताएं और बहनें, भाभियों जो घर पर काम करती हैं। महीनों सालों घर पर रहती हैं। हम कभी उन्हें घुमाने की सोचते भी नहीं। सोचिए, वह कैसे घर पर रहते हैं, कैसे मैनेज करते हैं। इसके बावजूद उनके चेहरे पर खुशियां और हंसी होती हैं और आपकी सेवा में लगे रहते हैं। हमारी सेवा में लगे रहते हैं।
क्या उनको तकलीफ नहीं होती है? जरूर होती है और यह एहसास अब हमें पता चल रहा है।
आप उनके Value समझ गए कि आप के लिये ये लोग क्या-क्या नहीं करते हैं। अपने घर में जो भी माताएं बहने और भाभी हैं। उनके साथ हमेशा प्यार से पेश आएं कभी भी गुस्सेला व्यवहार ना करें। इनकी हमेशा प्रशंसा करें और सम्मान दें।
जिन्हें आप अपना सबसे बड़ा हीरो मानते थे। जो आपके हीरो और हीरोइन हैं। जिन्हें आप बहुत मानते हैं। चाहे वह किसी मूवी का एक्टर क्यों ना हो, चाहे अभिनेत्री क्यों ना हो? चाहे क्रिकेटर हो,
पर क्या इस सिचुएशन में कुछ लोगों को छोड़कर किसी ने भी लोगों की मदद के लिए सामने आया?? जवाब है नहीं!
तो अब, आप अपने जीवन से इन्हें हीरो कहना छोड़ दीजिए। हमारे असली हीरो हैं। हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी, विद्युत कर्मी। असली हीरो तो यही लोग हैं।
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REAL HEROES |
अगर कुछ करना है तो इनके लिए करो, बात तब बनें।
इतना ही नहीं दोस्तों! इस महामारी के बीच में आपने गौर किया होगा की फैक्ट्रियां बंद होने की वजह से। वाहनों की आवाजाही खत्म या कम होने की वजह से। हमारे पर्यावरण में बहुत बड़ा सुधार आया है। नदियों का पानी साफ हो रहा है। वायुमंडल साफ हो रहा है।
जो कि खुद हम इंसानों के द्वारा ऐसा कर पाना असंभव था।
क्या ऐसा नहीं हो सकता है?? कि अभी पर्यावरण में जितनी शुद्धता हो चुकी है।
आपने गौर किया होगा कि जिनके पास समय नहीं होता था। जब आप फोन करते थे तो जवाब मिलता था कि मैं बिजी हूं। मैं बाद में बात करता हूं। फिर कभी दोबारा फोन नहीं आता था। जिनको आपकी सालों तक याद नहीं आई। अब वह आपसे बातें करते हैं, आपको फोन करते हैं। आप का हाल-चाल पूछते हैं।
तो मैं तो यही कहूंगा फ्रेंड! की ऐसे लोगों को टाटा बाय बाय करिए। जिनकी आपको सबसे ज्यादा जरूरत थी, उनके पास आपके लिये समय नहीं था। जिसे आप से मतलब नहीं था। और इतने सालों बाद जब उनके पास कोई काम नहीं है, तो आपको फोन लगा रहे हैं।
आप ऐसे लोगों को इग्नोर मारिए। यह लोग जीवन में कभी भी आपके काम नहीं आ सकते। मैं तो कहूंगा ऐसे लोग किसी के काम नहीं आ सकते।
आपने यह भी गौर किया होगा मित्र, कि हमने अपने भोजन का सही तरीके से उपयोग करना सीखा है। हम अब खाना व्यर्थ नहीं करते हैं। हम सब्जी ब्यर्थ नहीं करते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि अगर आलू प्याज खत्म हो गई तो बाहर बाजार बंद है। मिल पाना मुश्किल होगा। या फिर कुछ समय के लिए दुकान खुल भी रहा है तो बाहर महामारी फैली हुई है। घर पर रहना ही ठीक होगा।
तो यह सब बातों को ध्यान में रखते हुए हम कोशिश करते हैं कि, कम चीजों को ज्यादा से ज्यादा समय तक कैसे चलाया जा सके?
हमने चीजों के महत्व को समझा है। जिसे हम ऐसे ही फालतू और बेवजह फेंक दिया करते थे। पर्याप्त खाने पीने की चीजें बर्बाद हो जाए करती थी। हम कोशिश करते हैं कि ऐसा कम से कम हो।
ऐसा करना देश के चौथे स्तंभ ( किसान व मजदूर) लिए भी आदर की बात है। कि, किसान और मजदूर ऐसे महामारी के समय में भी बीमारी, बरसात, ठंड या धूप की चिंता किए बगैर, कठिन परिश्रम करते हुए अनाज की पैदावार में लगे हुए है। ताकि भविष्य में हमें खाली पेट ना सोना पड़े।
और सबसे बड़ी बात हमने अपने परिवार में लोगों की चिंता करनी शुरू कर दी है। हम उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं। हम ध्यान देते हैं कि किसी को किसी प्रकार की कोई दिक्कत तो नहीं है। परिवार में आपसी प्रेम और सामन्जस्य मजबूत हो रहा है। हम अपने घर में
मैं तो यही कहूंगा कि आप मित्र और माताएं-बहने जो भी मेरे इस लेख को पढ़ रहे हैं, आप अपने परिवार के हर सदस्य के लिए खास हो। परिवार में खट्टा मीठा होता रहता है। पर फिर भी हम एक दूसरे का ख्याल रखना जानते हैं।
आप सभी से मेरा निवेदन है कि, आप जब भी अगरबत्ती जला कर ईश्वर के समीप जाते हैं यह दुआ जरूर करें। कि, ईश्वर इस कोरोना नामक अंधकार को जल्दी समाप्त करे।
आप लोगों का,
विनोद कुमार
एडमिन,
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