इसी लिये अगर स्वस्थ्य पर कोई समस्या आती है तो हमें सम्बंधित डाक्टर के पास जाना होता है। जीवन के हर पहलू पर यही बात लागू होती है।
अतिरिक्त जानकारि लेनी हो या सीखनी हो तो उस ब्यक्ति के पास जाना होगा जो उस कार्य-क्षेत्र से जुड़ा हो। उनसे आपको जो जानना है या सीखना है उसके बारे में आपको बेसिक जानकारि तो मिल ही जायेगी। वह अपने सालो की मेहनत और अनुभव का संक्षिप्त जानकारि आपको दे सकता है। पर ऐसा तो तभी सम्भव है जब आप मे सुनने या सिखने की इच्छा होगी।
आप ने गौर किया होगा कि जब आप किसी को जब कोई खास बात कर रहे और वह पुरे मन से आपकी बातों को सुन रहा होता है। और अगर किसी का फोन कॉल भी आये तो वह कट या सायलेंट कर लेता है तो आप उसकी रुचि देख कर वह जानकारि भी दे देते है जिसे समझने में उसको महिनो लग सकते थे।
हम हमेशा ऐसा ही करते है। हमारी बातों का कौन कितना रुचि ले रहा है, हम उसी के मुताबिक ही किसी को जानकारि देते है या सिखाते है।
आप जितने भी महान पुरुषो को देखेंगे, तो पायेंगे की वे सभी ने पहले पूरी तरह से समर्पित हो कर के पहले अपने गुरु और शिक्षक से सिखा। तभी वे बाद में महान कार्य कर पाये।
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिये अगर हम सम्बंधित ब्यक्ति से पूरी तरह से समर्पित हो कर उनकी बातें सुनें और अमल करें, बिना किसी संकोच के तो अद्भुत परिणाम मिलने शुरु हो जाते है।
साक्ष्य के लिये खुद के बारे में याद करिये, जब आप अपने पढाई के दिनों में जिन विषयों पर ज्यादा ध्यान देते थे उन विषयों पर अवश्य ज्यादा कुशल रहे होगे। क्यो? सही है न!
सही प्लेटफार्म और सही डायरेक्शन
हमें अपने जीवन में यदि कुछ हासिल करनी है। तो हमें चाहिये कि हम ऐसे ब्यक्ति के सम्पर्क में रहें जो उन चीजों को हासिल कर चुका है, और उसके काम के बारे में सीखे। क्योकि काम व मेहनत तो सभी करते है। मेहनत तो मजदूर भी करता है। मेहनत रिक्सा चालक भी करता है। मेहनत आप भी कर रहे हो। पर क्या सभी 5 फिगर में मासिक कमाई कर पाते है? जवाब है नही!
काम करने का सही प्लेटफॉर्म होना चाहिये, जो उतनी इनकम दे सके। साथ ही सही डायरेक्शन भी होना चाहिये जो उस लेबल तक लेजा सके।
ये और यह चीजें आपको वही सिखा सकता है, जो ऐसे प्लेटफार्म और डायरेक्शन में काम कर रहा है। किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सही प्लेटफार्म और सही डायरेक्शन का होना बहुत ही जरूरी होता है। नहीं तो आप मेहनत तो करेंगे लेकिन आप उसे प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
बातों को सुनना क्यों जरूरी
जो सही सुनता होता है वही कई लोगों के लंबे समय के अनुभवों को कुछ समय में ही प्राप्त कर लेता है। यह बातें हम सभी समझते हैं, लेकिन जब बात किसी की सुनने की आती है तो देखा यही जाता है कि हम चाहते हैं कि हम अपनी बातें उनको बताएं, ना कि हम सामने वाले की बातें सुने। ज्यादातर लोग यही चाहते हैं कि वह दूसरों को सिखाए ना कि दूसरे उनको और यही पर सबसे बड़ी गलती होती है। अगर हमें किसी से कोई बात सीखनी है तो उनकी पूरी बातें हमें ध्यान से सुनने चाहिए। और समाज में हम जिनसे भी मिलते हैं दोस्त, मित्र या रिश्तेदार या जान पहचान वाले उन सभी की बातें पहले सुननी चाहिए उसके बाद ही कुछ कहना चाहिए। क्योंकि सुनने के बाद ही आप समझ पाएंगे कि उनकी क्या परेशानी है या वह कौन सी बातें नहीं समझ पा रहे हैं उसके बाद ही आप अपना पक्ष रख कर सही चीजें उनको बता सकते हैं।
चलिए जान लेते हैं सुनने संबंधी और कुछ खास बातों के बारे में जो कि आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है।
■जब तक आप किसी की बातें सुनेंगे नहीं तो उसके अंदर जानकारी का खजाना कितना है यह आपको कैसे पता चलेगा।
■ खुद को बहुत ज्यादा होशियार नहीं समझना चाहिए क्योंकि आप कितने होशियार हैं यह वास्तविकता वैसे भी कुछ दिनों में नजर आ जाती है।
■किसी से भी मिले पहले बातों को पूरी तरह से सुनना सीखे, बीच में ही किसी की बातें ना काटे।
■ जब सामने वाले की बातें पूरी हो जाए तब फिर आप अपनी बातें या अपना पक्ष रख सकते हैं सवाल जवाब कर सकते हैं।
■अपने जीवन में किसी न किसी एक सफल व्यक्ति को अवश्य अपना मार्गदर्शक या मेंटर (Mentor) बनाएं और पूरी समर्पण भावना के साथ उनसे सीखने का प्रयास करते रहे।
■ अगर कुछ जानना या सीखना है तो उसी से सीखना चाहिए जो उस दिशा में काम कर रहा है या कर चुका है। अगर आप इंजीनियर की विषय की बात डॉक्टर से पूछेंगे तो वह भला कैसे बता पाएगा?
या फिर डॉक्टर के विषय की बात आप किसी इंजीनियर से पूछेंगे तो भला वो कैसे बताएगा?
ज्यादातर लोग यही सबसे बड़ी गलती करते हैं कि वह लोग अपने दोस्त या पड़ोसी से सलाह ले लेते हैं, जो कि संबंधित विषय में कुछ भी जानकारी नहीं रखते है।
■याद रखिए जो सुनना जानता है उसे सभी पसंद करते हैं।
■ आपके आसपास आपका भला चाहने वाले बहुत लोग हैं । वे लोग कोई भी हो सकते हैं आपके दोस्त मित्र या रिश्तेदार या कोई और। ऐसे लोग यदि आपकी भलाई के लिए आपको कुछ सलाह देना चाहते हैं, तो पहले पूरी रुचि से उनकी बातें सुनने चाहिए। बाद में मानना या फिर नहीं मानना, यह आपके ऊपर है।
■अंत में आप अपने आसपास किसी भी सफल व्यक्ति को देख लीजिए या फिर किसी भी महान व्यक्ति की जीवनी को पढ़ लीजिए आप पाएंगे कि, सभी के कोई ना कोई मेंटर (Mentor) ,गुरु या टीचर अवश्य रहे। उन्होंने सबसे पहले पूरी आस्था के साथ किसी से सीखा और उसे अमल किया।
ज्यादातर लोग यही चीजें नहीं करते हैं या फिर ऐसा करना पसंद नहीं करते है। जो कि जीवन में विफलता का मूल कारण होता है।
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इस लेख में बस इतना ही । जल्द ही आपके लिए हम एक और अच्छी जानकारी की एक नई लेख लेकर आएंगे। इसके लिए घंटी दबाकर आप हमारे साथ बने रहे। अपने विचार कमेंट बाक्स करना ना भूलें। बहुत-बहुत धन्यवाद!
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